Maha Shivratri 2025 Date: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का एक खास पर्व है, जिसे देशभर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष, महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। आइए, इस पावन अवसर की तिथि, पूजा के शुभ मुहूर्त और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।
महाशिवरात्रि 2025 की तिथि और समय (Maha Shivratri 2025 Date)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष, चतुर्दशी तिथि का आरंभ 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे से होगा और इसका समापन 27 फरवरी 2025 को सुबह 8:54 बजे पर होगा महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के चार प्रहरों में की जाती है, जो इस प्रकार हैं…
1. प्रथम प्रहर: शाम 6:29 बजे से रात 9:34 बजे तक
2. द्वितीय प्रहर: रात 9:34 बजे से मध्यरात्रि 12:39 बजे तक
3. तृतीय प्रहर: मध्यरात्रि 12:39 बजे से रात 3:45 बजे तक
4. चतुर्थ प्रहर: रात 3:45 बजे से सुबह 6:50 बजे तक
इन मुहूर्तों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात्रि’। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि इस रात्रि भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, जो सृष्टि, पालन और संहार का प्रतीक है।
इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के व्रत और पूजा से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भक्तजन निम्नलिखित विधि से पूजा करते हैं:
1. व्रत का संकल्प: प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. शिवलिंग का अभिषेक: दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
3. बिल्वपत्र अर्पित करें: शिवलिंग पर बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल आदि चढ़ाएं।
4. मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
5. रात्रि जागरण: रात्रि के चारों प्रहर में भगवान शिव की आराधना और भजन-कीर्तन करें।
कब करना है व्रत का पारण?
महाशिवरात्रि व्रत का पारण अगले दिन चतुर्दशी तिथि के समाप्त होने के बाद किया जाता है। इस वर्ष, पारण का समय 27 फरवरी 2025 को सुबह 8:54 बजे के बाद है।
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र और परिध योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस संयोग में की गई पूजा-अर्चना का फल कई गुना बढ़ जाता है।
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की आराधना का सर्वोत्तम अवसर है। इस दिन श्रद्धालु व्रत, पूजा और रात्रि जागरण के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं। सभी भक्तों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और भगवान शिव के प्रति भक्ति प्रकट करने का विशेष अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि 2025 के इस पावन पर्व पर भगवान शिव का आशीर्वाद आप सभी पर बना रहे। हर हर महादेव।
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं। इनपर अमल करने से पहले आपको संबंधित विशेषज्ञों से राय लेना चाहिए।
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