Sitaare Zameen Par Review: आमिर की ‘सितारे ज़मीन पर’ रिव्यू: हर पेरेंट को देखनी चाहिए ये इमोशनल जर्नी!

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The Real Truth Of Sitaare Zameen Par

Sitaare Zameen Par Review: आमिर खान (Aamir Khan) तीन साल बाद ‘सितारे जमीन पर’ (Sitaare Zameen Par) के साथ सिनेमाघरों में लौटे हैं, और उनकी वापसी सादगी भरी मगर प्रभावशाली है। यह फिल्म 2007 की ‘तारे जमीन पर’ की थीम को आगे बढ़ाती है, लेकिन यह उसका सीक्वल नहीं, बल्कि एक नई कहानी है। डायरेक्टर आर.एस. प्रसन्ना (R.S. Prasanna) ने न्यूरोडायवर्जेंट बच्चों और एक अहंकारी कोच की कहानी को हंसी, आंसुओं और संदेश के साथ पेश किया है। आमिर का किरदार शुरू में एकसमान लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह फिल्म रफ्तार पकड़ती है। जेनेलिया डिसूजा (Genelia Deshmukh) और दस खास नए चेहरों की मासूमियत इसकी जान हैं। फिल्म डाउन सिंड्रोम और न्यूरोडायवर्जेंसी पर सकारात्मक नजरिया देती है। यह सवाल पूछती है- आपका ‘नॉर्मल’ क्या है? आइए जानते हैं इस फिल्म की खासियतें, अभिनय और इसका प्रभाव।

कहानी और संदेश | Kahani Aur Sandesh

‘सितारे जमीन पर’ (Sitaare Zameen Par) एक बास्केटबॉल कोच गुलशन अरोड़ा (आमिर खान) (Aamir Khan) की कहानी है, जो नशे में धुत होकर गलती करता है और सजा के तौर पर न्यूरोडायवर्जेंट लोगों की बास्केटबॉल टीम को कोचिंग देता है। शुरू में वह इन खास लोगों को ‘असामान्य’ समझता है, लेकिन धीरे-धीरे उनकी मासूमियत और जज्बा उसे बदल देता है। फिल्म डाउन सिंड्रोम और ऑटिज्म जैसे विषयों को संवेदनशीलता और हास्य के साथ पेश करती है। कॉमेडी और इमोशन का बैलेंस इसे खास बनाता है। यह फिल्म समाज से पूछती है कि ‘नॉर्मल’ की परिभाषा क्या होनी चाहिए।

अभिनय की चमक | Abhinay Ki Chamak

आमिर खान (Aamir Khan) अपने किरदार में खूब गहराई भरते हैं। उनका ह्यूमर और इमोशनल एक्टिंग खासतौर पर दूसरे हाफ में निखरकर सामने आता है। जेनेलिया डिसूजा (Genelia D’Souza) पत्नी सुनीता के रोल में क्यूटनेस के साथ गंभीरता का खूबसूरत मेल दिखाती हैं। हालांकि उनकी धीमी हिंदी थोड़ी खटकती है। दस नए कलाकार, जिनमें सतबीर, गुड्डू, गोलू जैसे किरदार शामिल हैं, अपनी सादगी से दिल जीत लेते हैं। बृजेंद्र काला, डॉली अहलूवालिया और गुरपाल सिंह छोटे रोल में भी याद रहते हैं। इन सभी की मासूमियत और अभिनय फिल्म को जीवंत बनाता है।

निर्देशन और तकनीक | Nirdeshan Aur Takneek

डायरेक्टर आर.एस. प्रसन्ना (R.S. Prasanna) ने फिल्म को बोरिंग होने से बचाया है। उन्होंने कॉमेडी और इमोशन का सही तालमेल बनाया। एक सीन, जहां केयरटेकर ‘नॉर्मल’ और ‘पागल’ का फर्क समझाता है, हंसी के साथ गहरा संदेश देता है। शंकर-एहसान-लॉय का म्यूजिक अच्छा है, लेकिन ‘तारे जमीन पर’ (Taare Zameen Par) जैसी यादगार छाप यह नहीं छोड़ पाती। राम संपत का बैकग्राउंड स्कोर जरूर फिल्म को ज्यादा असरदार बना देता है। सिनेमैटोग्राफी और सेट डिजाइन कहानी को सपोर्ट करते हैं, जो इसे थिएटर में देखने लायक बनाते हैं।

फ़िल्म देखें या नहीं | Film Dekhein Ya Nahi

‘सितारे जमीन पर’ (Sitaare Zameen Par) एक ऐसी फिल्म है, जो हंसाती है, रुलाती है और सोचने पर मजबूर करती है। आमिर (Aamir Khan) का डायलॉग, “ये बच्चे मुझे सिखा रहे हैं,” फिल्म का सार है। यह परिवार के साथ देखने लायक साफ-सुथरी फिल्म है, जो न्यूरोडायवर्जेंट (Neurodivergent) लोगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाती है। अगर आप एक्शन या रोमांस की तेज रफ्तार वाली फिल्में पसंद करते हैं, तो यह आपके लिए नहीं है। लेकिन अगर आप इमोशनल और प्रेरक कहानी चाहते हैं, तो यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी। वर्ड ऑफ माउथ से यह फिल्म लंबा चल सकती है।

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