Anshula Kapoor Shocking Statement On Boney Kapoor: अंशुला का सच, जब पिता की नई ज़िंदगी बनी बेटी की सबसे बड़ी चुनौती

Roshani

Anshula Kapoor Shocking Statement On Boney Kapoor

Anshula Kapoor Shocking Statement On Boney Kapoor: बॉलीवुड (Bollywood) की चमक-धमक के पीछे कई बार ऐसी कहानियां छिपी होती हैं जो बेहद निजी, संवेदनशील और भावनात्मक होती हैं—और अक्सर लोगों की नजरों से ओझल रह जाती हैं। ऐसी ही एक दिल छू लेने वाली कहानी है अंशुला कपूर (Anshula Kapoor) की, जो बोनी कपूर और मोना शौरी की बेटी हैं और अभिनेता अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) की बहन हैं। हाल ही में एक शो के दौरान अंशुला ने अपने जीवन के उस कठिन दौर को उजागर किया, जिसने उनके पूरे बचपन को गहराई से झकझोर दिया। परिवार में आई दरार, पिता की दूसरी शादी और समाज की प्रतिक्रिया—इन सबका असर कैसे पड़ा एक मासूम बच्ची पर, ये जानना बेहद जरूरी है। अंशुला की यह भावनात्मक यात्रा न सिर्फ उनके व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि हमें सोचने पर भी मजबूर करती है कि ग्लैमर की दुनिया के पीछे कितनी जटिलताएं छिपी होती हैं। आइए, जानते हैं अंशुला कपूर (Anshula Kapoor) की जिंदगी के उस अनकहे अध्याय को जो अब तक पर्दे के पीछे था।

बचपन में बदल गई जिंदगी | Anshula Kapoor Shocking Statement On Boney Kapoor

अंशुला कपूर (Anshula Kapoor) का जन्म बोनी कपूर (Boney Kapoor) और मोना शौरी (Mona Shourie) के घर हुआ। 1990 के दशक में जब उनके माता-पिता अलग हुए, अंशुला महज पहली कक्षा में थीं। नयनदीप रक्षित को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उस समय तलाक समाज में अस्वीकार्य था। बोनी कपूर (Boney Kapoor) का श्रीदेवी से रिश्ता सार्वजनिक होने के बाद उनके परिवार की जिंदगी बदल गई। अंशुला ने कहा, “1990 में भारत एक बंद अर्थव्यवस्था था, और परंपराएं गहरी थीं। तलाक या सेपरेशन को लोग समझ नहीं पाते थे।” इस बदलाव ने न केवल उनके घर का माहौल बदला, बल्कि स्कूल और दोस्तों के बीच भी उनकी जिंदगी प्रभावित हुई। मां मोना ने अकेले ही अंशुला और अर्जुन की परवरिश की, जो एक मल्टीटास्कर मां बन गईं।

दोस्तों का बदला व्यवहार | Anshula Kapoor Shocking Statement On Boney Kapoor

अंशुला (Anshula Kapoor) ने अपने स्कूल के अनुभव साझा करते हुए बताया कि माता-पिता के तलाक के बाद उनके दोस्तों और उनके परिवारों का रवैया बदल गया। उन्होंने कहा, “कई परिवार नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे हमारे घर आएं। उन्हें लगता था कि हमारी जिंदगी में कुछ गलत हो रहा है।” स्कूल में सहपाठियों का व्यवहार भी ठंडा हो गया। 90 के दशक में बच्चों के घर जाकर खेलना आम था, लेकिन अंशुला के लिए ये मौके कम हो गए। “मेरे क्लासमेट्स और उनके परिवारों का व्यवहार बदल गया। यह मेरे लिए बहुत इमोशनल और कन्फ्यूजिंग समय था,” अंशुला ने बताया। इस सामाजिक बहिष्कार ने उनके बचपन को और मुश्किल बना दिया।

पिता की गैरमौजूदगी का दर्द | Pita Ki Gair Maujudgi Ka Dard

अंशुला (Anshula Kapoor) ने अपने बचपन की सबसे बड़ी पीड़ा को पिता बोनी कपूर (Boney Kapoor) की गैरमौजूदगी बताया। उन्होंने कहा, “सबसे मुश्किल था पापा का घर पर न होना। हमारा पारिवारिक ढांचा पूरी तरह बदल गया था।” वर्ष 1996 में जब बोनी कपूर ने श्रीदेवी (Sridevi) से विवाह किया, तो अंशुला के जीवन में भावनात्मक उथल-पुथल शुरू हो गई। वे कहती हैं, “मुझे समझ नहीं आता था कि पापा क्यों नहीं हैं।” इस कठिन दौर में मां मोना और भाई अर्जुन उनकी सबसे बड़ी ताकत बने। साथ ही, कजन्स रिया और हर्षवर्धन कपूर ने भी उन्हें भावनात्मक रूप से सहारा दिया। यह समय उनके लिए बेहद उलझनों से भरा रहा, लेकिन परिवार की मजबूती ने उन्हें संभाले रखा।

 

मां मोना की ताकत | Maa Mona Ki Takat

अंशुला (Anshula Kapoor) ने अपनी मां मोना शौरी (Mona Shourie) की तारीफ में कहा, “वह एक साथ मां और पिता दोनों थीं। वह केयरगिवर, प्रॉब्लम सॉल्वर और ब्रेडविनर थीं।” मोना ने अकेले ही अंशुला और अर्जुन (Arjun Kapoor) को पाला और उन्हें बराबरी का प्यार दिया। अंशुला ने बताया कि मां ने कभी उनके और अर्जुन के बीच लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया। “वह हमें भरोसा करती थीं, लेकिन हमेशा हमारी खबर रखती थीं,” अंशुला ने कहा। मोना की ताकत और प्यार ने अंशुला को इस मुश्किल दौर से निकलने में मदद की। उनकी मां 2012 में कैंसर से लड़ते हुए दुनिया छोड़ गईं, लेकिन उनकी यादें अंशुला के दिल में बसी हैं।

आज की अंशुला और फैंस का प्यार | Aaj Ki Anshula Aur Fans Ka Pyar

आज अंशुला कपूर (Anshula Kapoor) एक आत्मविश्वास भरी महिला हैं, जो ‘द ट्रेटर्स’ में अपनी पर्सनैलिटी से दर्शकों का दिल जीत चुकी हैं। वह एक्टिंग से दूर रहकर सोशल वर्क और प्रोडक्शन में सक्रिय हैं। सोशल मीडिया पर फैंस उनकी सादगी और प्रेरणादायक कहानी की तारीफ करते हैं। एक फैन ने एक्स पर लिखा, “अंशुला की कहानी दिल को छूती है। इतने दर्द के बाद भी वह इतनी सकारात्मक हैं।” अंशुला का कहना है कि वह अब पहले से ज्यादा खुले विचारों वाली हैं और अपने अतीत को स्वीकार कर चुकी हैं। उनकी यह जर्नी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किल हालात से गुजर रहा हो।

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