Famous Prayagraj Temple: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है, जो न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए एक महान धार्मिक और आध्यात्मिक अवसर है। महाकुंभ के दौरान संगम में पवित्र स्नान करने के बाद भक्तजन मंदिरों के दर्शन करके अपनी यात्रा को पूर्ण मानते हैं। प्रयागराज एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहाँ अनेक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। इन मंदिरों का दर्शन आपको आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है और आपकी महाकुंभ यात्रा को संपूर्ण बनाता है।
प्रयागराज के फेमस प्राचीन मंदिर (Famous Prayagraj Temple)
इस आर्टिकल में हम आपको उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे जिन्हें महाकुंभ 2025 के दौरान संगम में स्नान करने के बाद अवश्य देखना चाहिए।
1.श्री लेटे हनुमान जी मंदिर
प्रयागराज का श्री लेटे हनुमान जी मंदिर अपने आप में अनोखा और प्रसिद्ध है। यह मंदिर हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा में मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो अन्य मंदिरों से इसे अलग बनाती है। हनुमान जी की यह विशाल प्रतिमा जमीन पर लेटी हुई है, जिसे देखकर भक्तगणों का मन श्रद्धा और भक्ति से भर जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। महाकुंभ में स्नान के बाद इस मंदिर के दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
2.प्रयागराज का काल भैरव मंदिर
काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप का अवतार माना जाता है और प्रयागराज का काल भैरव मंदिर इस रूप की भक्ति का प्रमुख स्थल है। यह मंदिर अत्यधिक मान्यता रखता है और यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि भगवान काल भैरव उनके सभी पापों का नाश करते हैं। महाकुंभ के दौरान, यह मंदिर विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र बनता है। संगम में स्नान के बाद भक्त यहां आकर अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाने की प्रार्थना करते हैं।
3.श्री अक्षयवट मंदिर
अक्षयवट, जिसे ‘अमर वृक्ष’ भी कहा जाता है, का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह प्रयागराज किले के अंदर स्थित है और महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इसे विशेष रूप से देखने के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस वृक्ष के दर्शन करने से जीवन में स्थिरता और शांति प्राप्त होती है। यह वह स्थान है जहाँ भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का आरंभ किया था। महाकुंभ के दौरान, अक्षयवट के दर्शन करना आपकी यात्रा को और भी पवित्र और मंगलमय बना देता है।
4.श्री अलोपी देवी मंदिर
प्रयागराज का श्री अलोपी देवी मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी और प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर अन्य मंदिरों से भिन्न है, क्योंकि यहाँ देवी की कोई मूर्ति नहीं है। इसके बजाय, एक पालकी को देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि यहां सती माता का अंतिम अंग गिरा था, और इस स्थान पर देवी की पूजा आज भी की जाती है। महाकुंभ के दौरान इस मंदिर के दर्शन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं, और भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए यहां आते हैं।
5.शिवकुटी मंदिर
प्रयागराज के शिवकुटी मंदिर का विशेष महत्त्व है। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है और महादेव शिव को समर्पित है। महाकुंभ में संगम स्नान के बाद शिवकुटी मंदिर के दर्शन से भक्तों को आत्मिक शांति मिलती है। यह माना जाता है कि यहां पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
6.पातालपुरी मंदिर
प्रयागराज के किले के भीतर स्थित पातालपुरी मंदिर भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण ने पूजा की थी। संगम स्नान के बाद इस मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7.हनुमान मंदिर, झूंसी
यह मंदिर संगम के निकट झूंसी क्षेत्र में स्थित है और इसे भी महाकुंभ के दौरान देखने लायक स्थानों में गिना जाता है। यह मंदिर भी हनुमान जी को समर्पित है और यहां की मान्यता है कि हनुमान जी यहां स्थायी रूप से निवास करते हैं। महाकुंभ के दौरान, भक्तजन संगम स्नान के बाद यहां आकर हनुमान जी के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
महाकुंभ 2025 में संगम स्नान के बाद इन पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करना आपकी यात्रा को आध्यात्मिक रूप से संपूर्ण बनाएगा। प्रयागराज के यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन कर अपनी भक्ति को और भी गहनता से अनुभव कर सकते हैं।
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