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IIT Baba Abhay Singh Biography: कौन हैं आईआईटीयन बाबा? 36 लाख सैलरी को छोड़ चुना साधु जीवन

IIT Baba Abhay Singh

IIT Baba Abhay Singh

IIT Baba Abhay Singh Biography: अभय सिंह, जिन्हें आज एक साधु के रूप में जाना जाता है, कभी कनाडा में 36 लाख रुपये की सालाना सैलरी पर काम कर रहे थे। आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने विदेश में एक बेहतरीन नौकरी हासिल की। लेकिन इस भौतिक जीवन से उनका मन नहीं भरा। उनकी आत्मा हमेशा कुछ और खोज रही थी, जिसे उन्हें आध्यात्म में पाया।

अभय सिंह का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था और वह पढ़ाई में हमेशा से ही उत्कृष्ट रहे। आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने विदेश में नौकरी की और उनकी ज़िंदगी काफी आरामदायक थी। परंतु, उनके भीतर एक अदृश्य खालीपन था, जिसे उन्होंने भौतिक सुखों से भरने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। उनका मानना है कि पैसा और भौतिक सुख इंसान को पूर्णता का एहसास नहीं दिला सकते।

कौन हैं आईआईटीयन बाबा अभय सिंह? (IIT Baba Abhay Singh Biography)

2016 में, उन्होंने अपने जीवन की दिशा बदलने का निर्णय लिया। अभय सिंह ने अपनी नौकरी छोड़ दी और साधु बनने का मार्ग चुना। उन्होंने कई वर्षों तक हिमालय में साधना की और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया। अब वह महाकुंभ 2025 में भाग ले रहे हैं, जहां वह लोगों को अध्यात्म और जीवन के गहरे अर्थों के बारे में शिक्षित कर रहे हैं।

अभय सिंह की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में सच्ची खुशी और संतोष भौतिक संपत्ति से नहीं, बल्कि आत्मिक शांति से मिलती है। उनका यह निर्णय समाज के उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो सफलता को केवल धन और आराम से जोड़ते हैं।

महाकुंभ में अभय सिंह के योगदान ने उन्हें एक आदर्श साधु के रूप में स्थापित किया है, जो केवल साधना ही नहीं कर रहे, बल्कि समाज की सेवा और लोगों को सही मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। उनका मानना है कि हम सभी के भीतर एक दिव्य शक्ति है, जिसे पहचानकर हम अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं।

अभय सिंह ने चुना साधू का जीवन

उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि जीवन में भले ही हम किसी भी ऊँचाई तक पहुँच जाएँ, लेकिन अंततः सच्ची संतुष्टि और शांति के लिए हमें आत्मा की ओर लौटना पड़ता है। अभय सिंह की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में भौतिक सुखों से परे भी एक गहरी आत्मिक शांति और संतुष्टि है। आईआईटी से लेकर साधु बनने तक का उनका सफर यह दर्शाता है कि धन और सफल करियर जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकते।

उनकी साधना और सेवा का जीवन हमें यह संदेश देता है कि असली खुशी और संतोष आत्मज्ञान और दूसरों की भलाई में निहित है। महाकुंभ 2025 में उनकी भागीदारी ने उनके अध्यात्मिक दृष्टिकोण को और मजबूत किया है, जो समाज के लिए प्रेरणादायक है।

बता दें, महाकुंभ 2025 में कई ऐसे बाबा आए हैं जिन्होंने अपने अलग-अलग चीजों के जरिए सोशल मीडिया पर पहचान बनाई है। लोग उन्हें वायरल कर रहे हैं और अब उनके बारे में जानना चाहते हैं। अभय सिंह उनमें से एक हैं जिन्होंने लाखों रुपये की नौकरी को छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुना है। उन्होंने सोशल मीडिया पर काफी तूफान मचा रखा है और इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोवर्स भी बढ़ गए हैं।

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