Swami Vivekananda Unknown Facts: भारत में एक से बढ़कर एक महापुरुष हुए जिन्होंने लोगों को सही दिशाएं दिखाईं। लेकिन युवाओं को भी जिन्होंने एक अलग राह दिखाई उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था जिन्हें आमतौर पर लोग स्वामी विवेकानंद के नाम से जानते हैं। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था, भारतीय युवा पीढ़ी के प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, और वे वेद, दर्शन, और योग के महान ज्ञाता थे।
स्वामी विवेकानंद का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उनकी जीवंतता और दृष्टिकोण ने उन्हें भारतीय समाज के सबसे महान नेताओं में से एक बना दिया। उनके विचार और कार्यों ने भारतीय समाज में बदलाव की एक नई दिशा दी। वे न केवल एक महान संत थे, बल्कि उन्होंने समाज की सेवा के साथ-साथ व्यक्तिगत आत्म-विकास पर भी जोर दिया।
स्वामी विवेकानंद से जुड़ी बातें (Swami Vivekananda Unknown Facts)
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। वे हमेशा कहते थे कि जब तक इंसान खुद को पहचानता नहीं है, तब तक वह समाज में अपनी भूमिका नहीं निभा सकता। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस से बहुत कुछ सीखा और उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस से भगवान के वास्तविक रूप को देखा और उनसे शिक्षा प्राप्त की कि सेवा ही भगवान की पूजा है।
शिकागो धर्म महासभा में दिया गया भाषण
स्वामी विवेकानंद का शिकागो धर्म महासभा में दिया गया भाषण भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रचार करने में एक ऐतिहासिक क्षण था। 1893 में शिकागो में जब उन्होंने ‘आपके भाई और बहन’ शब्दों से भाषण की शुरुआत की, तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। उनका यह भाषण न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सशक्त संदेश था। इसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म, और तात्त्विकता की गहराई से व्याख्या की।
स्वामी विवेकानंद का योगदान
स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने 9 दिसंबर 1898 को बेलूर मठ की स्थापना की, जो आज भी उनके विचारों और शिक्षाओं का केंद्र है। उनका उद्देश्य था कि भारतीय समाज को जागरूक किया जाए और उन्हें अपने अंदर की शक्ति का एहसास हो।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई?
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 39 साल की छोटी उम्र में 4 जुलाई 1902 को हुई। उन्होंने बहुत ही कम समय में समाज को बहुत कुछ दिया। उनका जीवन और उनके विचार आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी मौत के समय उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई कि उनके शरीर की बीमारियां उन्हें 40 वर्ष तक जीवित नहीं रहने देंगी।
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में भौतिक सुखों का त्याग किया और समाज के लिए काम किया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि आत्मविश्वास, शिक्षा और समाजसेवा से ही हम अपने देश और दुनिया में बदलाव ला सकते हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा है और उनके विचार आज भी लोगों को आत्मविकास की दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। उनके योगदान और विचारों की वजह से उन्हें आज भी भारतीय समाज में आदर्श के रूप में पूजा जाता है।
हम आपके लिए ऐसे ही मनोरंजन की खबरें लाते रहेंगे | बने रहिए खास खबर के साथ और अगर आपको हमारी यह खबर पसंद आती है तो इसके बारे में अधिक जानने के लिए भी हमारे साथ बने रहिए या फिर आप हमारे Facebook , Instagram, Whatsapp के चैनल से भी जुड़ सकते हैं |