Laapataa Ladies Box Office: Oscar 2025 की रेस से बाहर हुई ‘लापता लेडीज’, जानें फिल्म का बजट, कलेक्शन समेत सबकुछ

nicky writer

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Laapataa Ladies Box Office

Laapataa Ladies Box Office: किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज’ जिसे ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में चुना गया था, अब इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की दौड़ से बाहर हो गई है। शुरुआती उम्मीदों के बावजूद, फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत कांपीटिशन का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्म का सीमित प्रमोशन और कुछ तकनीकी पहलू इसे ऑस्कर रेस से बाहर होने के प्रमुख कारण रहे। हालांकि, इसकी अनोखी कहानी और मजबूत निर्देशन ने दर्शकों और समीक्षकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई है।

कितनी हुई थी ‘लापता लेडीज’ की कमाई? (Laapataa Ladies Box Office)

1 मार्च 2024 को किरण राव के निर्देशन और आमिर खान के प्रोडक्शन में बनी फिल्म लापता लेडीज ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म लापता लेडीज का बजट 5 से 7 करोड़ के आस-पास था जबकि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने 30 करोड़ का कलेक्शन किया था।

कई बार ऑस्कर जैसी प्रतियोगिताओं में फिल्में सिर्फ कहानी या निर्देशन के दम पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रमोशन, प्रभावी मार्केटिंग और पब्लिसिटी के आधार पर भी चुनी जाती हैं। ‘लापता लेडीज’ का अंतरराष्ट्रीय लेवल पर प्रचार अन्य फिल्मों के मुकाबले उतना प्रभावशाली नहीं था। इसके अलावा, ऑस्कर के लिए भेजी गई अन्य फिल्मों की हाइ क्वॉलिटी और अधिक मार्केटिंग बजट भी इस निर्णय का कारण बने।

 

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क्या है फिल्म लापता लेडीज की कहानी

‘लापता लेडीज’ की कहानी 2001 के ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है। फिल्म दो नवविवाहित लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक ट्रेन सफर के दौरान खो जाती हैं। ये घटना तब होती है जब उनकी शादी के कुछ ही समय बाद वे घर लौट रही होती हैं। कहानी हास्य, व्यंग्य और गंभीर सामाजिक मुद्दों को मिलाकर तैयार की गई है। किरदारों की मासूमियत, उनकी चुनौतियों का सामना करने का तरीका और समाज में महिलाओं की स्थिति को इस फिल्म में दिलचस्प अंदाज में दिखाया गया है।

फिल्म का फोकस ग्रामीण भारत की प्रथाओं, मान्यताओं और महिलाओं की स्थिति पर है। निर्देशक किरण राव ने इस विषय को बड़े ही संवेदनशील तरीके से पेश किया है, जिससे दर्शक भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। कहानी के साथ-साथ फिल्म का हास्य भी बहुत इफेक्टिव है, जो गंभीर मुद्दों के बीच भी एक ताजगी बनाए रखता है।

हालांकि, फिल्म का कंटेंट काफी प्रभावी था, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर दर्शकों तक पहुंचाने के लिए बेहतर मार्केटिंग की जरूरत थी। फिल्म ने न केवल गांवों की सादगी और ग्रामीण जीवन की सच्चाई को दिखाया, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति को भी उजागर किया।

फिल्म की खासियत

‘लापता लेडीज’ में निर्देशक किरण राव का अनोखा दृष्टिकोण साफ नजर आता है। फिल्म में ग्रामीण परिवेश को बेहद सजीव रूप में दर्शाया गया है। संवाद, सिनेमेटोग्राफी और किरदारों की मासूमियत फिल्म की खासियत है। यह फिल्म उस दौर की बात करती है जब महिलाओं को समाज में एक सीमित दायरे में रखा जाता था, और उनकी आवाज़ कहीं खो जाती थी।

फिल्म का हास्य और सामाजिक संदेश एक बेहतरीन मिश्रण पेश करता है, जो दर्शकों को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर देता है भले ही ‘लापता लेडीज’ ऑस्कर की रेस से बाहर हो गई हो, लेकिन इसका प्रभाव और संदेश दर्शकों पर गहरा है। फिल्म ने एक खास सामाजिक मुद्दे को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया है और दर्शकों का दिल जीता है। इसके निर्देशन, कहानी और किरदारों की मजबूती ने इसे एक यादगार फिल्म बना दिया है, जिसे आने वाले समय में भी सराहा जाएगा।

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