रूपकुंड झील : उत्तराखंड में कंकालो की झील | जहां मछलियां नहीं , तैरते हैं कंकाल | Top 10 mysteries

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रूपकुंड झील

रूपकुंड झील : जिसे कंकाल झील के नाम से जाना जाता है भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में कंकालों से भरी हुई यह झील बहुत प्रसिद्ध मानी गई है. इस झील में मछलियां , मगरमच्छ नहीं तैरते बल्कि इंसानों के कंकाल तैरते हैं | पूरे संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होगा जिसे झील देखना पसंद ना हो या उसे झीलों का नजारा देखना नहीं हो | बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां हो या फिर कोई वेकेशन प्लान हर किसी को पहाड़ों पर घूमने का बहुत शौक होता है |

जरा सोचिए आप सुकून की खोज में रूपकुंड झील पहुंचे और आपके वहां मछलियां नहीं बल्कि कंकाल तैरते नजर आए तो आपका क्या रिएक्शन होगा? है ना मजेदार बात चलिए लिए हम अपने आर्टिकल में रूपकुंड झील की सच्चाई को समझते हैं |

Lake of skeletons (रूपकुंड झील)-

वैसे तो दुनिया में हर किसी को झील बहुत आकर्षक लगती है लेकिन इस झील की बातें कुछ और है यह झील जितनी रहस्यमय है उतनी ही डरावनी भी है यह झील हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी त्रिशूल के बीच में स्थित है समुद्र तल से लगभग 16500 फीट की ऊंचाई पर यह झील कंकालों से भरी हुई है गर्मियों में जैसे ही इस झील की बर्फ पिघलने लगती है तो आपको इसमें बर्फ नहीं कंकाल देखने को मिलते हैं. उत्तराखंड देवभूमि के नाम से जाने जाने वाले स्थान में यह कंकाल कहां से? यह एक अजीब विडंबना है चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से!

कभी न सुलझने वाली कहानी –

कंकाल झील की कहानी कई सदियों पुरानी है ऐसा कहा जाता है कि इस झील के पास एक नंदा देवी नामक मंदिर है इसी क्षेत्र में रहने वाले राजा रानी इसी मंदिर के दर्शन के लिए रोज आया करते थे ऐसा माना जाता है कि राजा और रानी ने मंदिर के दर्शन करने के लिए पहाड चलने का निर्णय लिया लेकिन वह वहां अकेले ना जाकर अपने नौकरों को भी साथ लेकर चले गए, इस कारण से देवी को गुस्सा आ गया और कहते हैं कि उनका गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन सभी को मौत के मुंह में धकेल दिया |

kankaal jheel

कहते हैं ना जितनी अंशुल की कहानी उतनी ही उसके पीछे कई कहानी. कुछ लोगों का मानना है कि उस स्थान पर कुछ आर्मी वाले लोग पहरा देने आया करते थे एक दिन बर्फ का तूफान आया और सभी आर्मी वालों इस बर्फ के तूफान में जा समाए और कई सैकड़ो वर्षों तक उनके कंकाल उसी जगह पर अवशेष की तरह पड़े रहे| तो कई लोगों का मानना यह भी है कि एक समय में एक महामारी आई थी और इस महामारी में उसे गांव के सभी लोग एक साथ मारे गए तो बहुत कंकाल उनके हैं.

हालांकि सही तरीके से इस घटना की जानकारी अभी तक का किसी को नहीं है बहुत से वैज्ञानिकों ने यहां आकर बहुत बार कोशिश करी है लेकिन अभी तक इस बात का खुलासा नहीं लगा पाए हैं “इसीलिए इस कंकाल झील को रहस्यमई झील भी माना जाता है’|

रिसर्च के मुताबिक –

रूपकुंड झील के इस अद्भुत मिथ्या को सुलझाने के लिए भारत और यूरोप के कई वैज्ञानिकों ने इस स्थान का निरीक्षण किया जिसमें हैदराबाद ,पुणे और लंदन के भी वैज्ञानिक शामिल थे लेकिन वह लोग भी इस बात का सच पता नहीं कर सके कि वह कंकाल है किसके लेकिन ऐसा बताया जाता है कि 600 से 800 लोगों के कंकाल उसे झील में देखने को मिलते हैं बर्फ में दबे रहने के कारण उसमें से कुछ मांस आधे दिखते हैं तो कुछ पूरे लेकिन जैसे-जैसे बर्फ पिघलने लगती है तो वह झील कंकाल झील बन जाती है|

इस झील में दिखने वाले कंकालों में कहा जाता है कि कई महिलाएं भी शामिल है और अध्ययनकर्ताओं ने तो यह भी कहा कि इन मोटो में कुछ मौतें यूरोपियंस की भी हैं लेकिन इस बात का अभी तक पूरी तरह से खुलासा नहीं हुआ है |

रूपकुंड झील आखिर क्यों बनकर रह गई है एक mystery –

कई वैज्ञानिकों ने बताया है कि रूपकुंड झील में आखिर क्या हुआ था यह अभी तक साफ नहीं है हां लेकिन एक बार जरूर कह सकते हैं कि यह सभी मौतों किसी एक ही घटना में नहीं हुई है. इस झील में कई महिलाओं के गने तलवारे बहुत से अस्त्र-शस्त्र भी कंकालों के साथ पाए गए थे तो इससे साफ पता लगता है कि यह एक जगह के लोग नहीं थे |

इस झील में ज्यादातर समय बर्फ रहती है क्योंकि उत्तराखंड का चमोली जिला बेहद ठंडा माना जाता है इसी ठंड की वजह से वर्ष भर यहां बर्फ बनी रहती है लेकिन गर्मी के दौरान जब-जब बर्फ पिघलने लगती है तो इस झील में कंकाल देखने को मिलते हैं. इसी वजह से इस झील में मछलियां नहीं कंकाल तैरते में नजर आते हैं |

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