When Faith Beats Fame: थिएटरों में घंटी, नारियल और आस्था की गूंज – ‘जय संतोषी मां’ ने बदल दी सिनेमा की परिभाषा

Roshani

When Faith Beats Fame

When Faith Beats Fame: 1975 में रिलीज हुई ‘जय संतोषी मां’ (Jai Santoshi Maa) बॉलीवुड की वो अद्भुत फिल्म है, जिसने थिएटर को मंदिर का रूप दे दिया। दर्शक जूते बाहर उतारकर, फूल और प्रसाद लेकर ऐसे भीतर जाते थे, जैसे सचमुच संतोषी माता के दर्शन को निकले हों। पहले दिन मुंबई के एक सिनेमाहॉल में सिर्फ 56 रुपये कमाने वाली यह फिल्म बाद में सुपरहिट बनी और 50 हफ्तों तक थिएटर्स में छाई रही। 30 लाख के बजट में बनी इस फिल्म ने 5 करोड़ रुपये कमाए, यानी 1666% का मुनाफा, जो बॉलीवुड की सबसे प्रॉफिटेबल फिल्मों में शुमार है। ‘शोले’ (Sholey) जैसी ब्लॉकबस्टर के बावजूद इसने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। संतोषी माता की भक्ति और सादगी भरी कहानी ने इसे धार्मिक अनुभव में बदल दिया। 2025 में इसके 50 साल पूरे होने पर फैंस इसकी री-रिलीज की मांग कर रहे हैं। आइए, जानते हैं इस फिल्म की कहानी और इसके ऐतिहासिक सफर की पूरी बात।

पहले दिन का संघर्ष, फिर चमत्कार |When Faith Beats Fame

30 मई 1975 को रिलीज हुई ‘जय संतोषी मां’ (Jai Santoshi Maa) को शुरुआत में दर्शक नहीं मिले। मुंबई के एक थिएटर में पहले शो में 56 रुपये, दूसरे में 64 रुपये और तीसरे में 100 रुपये की कमाई हुई। ट्रेड पंडितों ने इसे फ्लॉप मान लिया, लेकिन वर्ड-ऑफ-माउथ ने कमाल किया। खासकर महिलाओं में फिल्म की दीवानगी बढ़ी, और जल्द ही थिएटर्स हाउसफुल होने लगे। बांद्रा जैसे इलाके, जहां मायथोलॉजिकल फिल्में नहीं चलती थीं, वहां यह 50 हफ्ते चली।

आस्था से भरी कहानी | Aastha se bhari kahani

विजय शर्मा (Vijay Sharma) के निर्देशन में बनी ‘जय संतोषी मां’ (Jai Santoshi Maa) में अनीता गुहा (Anita Guha) ने संतोषी माता का किरदार निभाया। फिल्म की कहानी सत्यवती (कानन कौशल) की भक्ति पर आधारित थी, जो संतोषी माता की कृपा से अपने दुखों को पार करती है। इसकी सादगी और धार्मिक भावना ने दर्शकों को भावुक किया। थिएटर्स में लोग स्क्रीन पर पैसे उछालते और माता की मूर्ति के सामने पूजा करते थे।

बॉक्स ऑफिस पर तहलका | Box office par Tehelka

30 लाख के बजट में बनी इस फिल्म ने 5 करोड़ रुपये की कमाई की, जो 1975 में अभूतपूर्व था। IMDB के अनुसार, यह 1975 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी, पहले नंबर पर ‘शोले’ थी। 1666% प्रॉफिट के साथ यह बॉलीवुड की सबसे प्रॉफिटेबल फिल्मों में से एक है। हालांकि, डिस्ट्रीब्यूशन विवादों के चलते प्रोड्यूसर सत्यराम मूर्ति कंगाल हो गए। केदारनाथ अग्रवाल और संदीप सेठी जैसे डिस्ट्रीब्यूटर्स ने इसका फायदा उठाया।

दर्शकों की आस्था और प्यार | Darshakon ki aastha aur pyaar

फिल्म ने खासकर महिलाओं को आकर्षित किया, जो संतोषी माता (Santoshi Mata) को गुड़-चने का प्रसाद चढ़ाने वाली सुलभ देवी मानने लगीं। थिएटर्स के बाहर बैलगाड़ियों की कतारें लगती थीं, और सफाई कर्मचारी दर्शकों के उछाले सिक्कों से मालामाल हो जाते थे। अनीता गुहा ने एक इंटरव्यू में कहा, “बांद्रा में 50 हफ्ते चलना चमत्कार था।” फिल्म ने संतोषी माता को घर-घर पूजनीय बनाया।

‘शोले’ से टक्कर | Sholey se takkar

1975 में ‘शोले’ (15 करोड़ कमाई) और ‘दीवार’ ने बॉक्स ऑफिस पर राज किया, लेकिन ‘जय संतोषी मां’ ने बिना बड़े सितारों के इनका मुकाबला किया। इसकी सादगी और भक्ति ने उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम के दर्शकों को जोड़ा।

‘जय संतोषी मां’ की विरासत | Jai Santoshi Maa ki virasat

‘जय संतोषी मां’ (Jai Santoshi Maa) ने यह दिखा दिया कि सच्ची आस्था और सरलता, चमकते सितारों से कहीं अधिक प्रभावशाली हो सकती है। इसकी कहानी, मधुर भजन और गहन भक्ति भाव ने इस फिल्म को अमर बना दिया। 2025 में इसके 50वें साल पर एक एक्स पोस्ट में लिखा, “नई पीढ़ी को जय संतोषी मां की शक्ति देखनी चाहिए!” यह फिल्म आज भी आस्था और सिनेमा के अनोखे मेल की मिसाल है।

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