Panchayat Season 4 Review: ‘पंचायत’ (Panchayat Season 4) का चौथा सीजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुका है, और यह दर्शकों का पसंदीदा कम्फर्ट शो फिर से फुलेरा गांव की गलियों में ले जाता है। इस बार कहानी प्रधानी के चुनाव के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां मंजू देवी (नीना गुप्ता) को बनराकस (दुर्गेश कुमार) की पत्नी क्रांति देवी (सुनीता राजवार) से कड़ी टक्कर मिल रही है। 2020 में शुरू हुआ यह शो अपने सादगी भरे हास्य और किरदारों की गर्मजोशी के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार पॉलिटिक्स का डोज हावी है और कॉमेडी थोड़ी फीकी पड़ी है। जितेंद्र कुमार, रघुबीर यादव और फैंस के फेवरेट किरदार फिर से सुकून देते हैं, मगर कहानी का प्रेडिक्टेबल होना थोड़ा खलता है। आइए जानते हैं इस सीजन की कहानी, अभिनय और खासियतें।
कहानी का मिजाज | Panchayat Season 4 Review
‘पंचायत’ सीजन 4 (Panchayat Season 4) वहीं से शुरू होता है, जहां सीजन 3 खत्म हुआ था। प्रधानजी (रघुबीर यादव) पर गोली चलने का जख्म तो भर गया, लेकिन डर और दर्द बरकरार है। सचिव जी (जितेंद्र कुमार) पर विधायक (प्रकाश झा) से मारपीट का केस चल रहा है, और वह अपने CAT एग्जाम के रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच फुलेरा में प्रधानी का चुनावी माहौल गर्म है। बनराकस, क्रांति देवी, बिनोद (अशोक पाठक) और माधव (बुल्लू कुमार) विधायक के समर्थन से मंजू देवी और उनकी टीम को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। कहानी में एक रहस्यमयी शुभचिंतक की मौजूदगी भी सस्पेंस जोड़ती है, मगर कई सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं।
चुनावी जंग और कमियां | Chunavi Jung Aur Kamiyan
पंचायत सीजन 4 (Panchayat Season 4) की रफ्तार भले ही शुरुआत में थोड़ी धीमी लगे, लेकिन जैसे-जैसे चुनावी राजनीति और नए गठजोड़ उभरते हैं, कहानी में दिलचस्प मोड़ आते जाते हैं। खासकर मंजू देवी (Manju Devi) और क्रांति देवी (Kranti Devi) की टक्कर देखने का मजा ही कुछ और है पर कई बार यह एकसमान और उथली लगती है। बनराकस (Banracas) की ‘कुकर में लौकी’ वाली रणनीति और उसकी टीम का तंज दर्शकों को हंसाता भी है और गुस्सा भी दिलाता है। हालांकि, सचिव जी और रिंकी (सांविका) का रोमांस पिछले सीजन से ज्यादा आगे नहीं बढ़ता, जो फैंस को निराश कर सकता है। नए किरदारों का आगमन होता है, लेकिन उनकी मौजूदगी सीमित है। कहानी का प्रेडिक्टेबल पैटर्न और अनसुलझे सवाल, जैसे गोलीकांड का रहस्य, सीजन को थोड़ा कमजोर बनाते हैं।
अभिनय की चमक | Abhinay Ki Chamak
जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) अपने सचिव जी (Sachiv Ji) अवतार में फिर से दिल जीतते हैं। नीना गुप्ता (Neena Gupta) की मंजू देवी (Manju Devi) और रघुबीर यादव (Raghubir Yadav) के प्रधानजी की जुगलबंदी शो का आधार है। सुनीता राजवार और दुर्गेश कुमार ने क्रांति और बनराकस के किरदारों को शानदार ढंग से निभाया। अशोक पाठक का बिनोद आखिरी एपिसोड में अपने इमोशन्स से प्रभावित करता है। चंदन रॉय (विकास), फैसल मलिक (प्रह्लाद) और सांविका (रिंकी) अपनी सादगी से शो को जीवंत रखते हैं। प्रकाश झा का विधायक किरदार छोटा मगर दमदार है। सभी किरदार पुराने सीजन्स की तरह सुकून देते हैं।
मनोरंजन बिना लाग-लपेट के | Manoranjan bina laag-lapet ke
‘पंचायत’ हमेशा अपनी साफ-सुथरी कॉमेडी और गांव की सादगी के लिए जाना जाता है। इस बार पॉलिटिक्स का भारी डोज कॉमेडी पर हावी हो गया है। फिर भी, बनराकस और बिनोद के डायलॉग्स और गठजोड़ की चालबाजियां हंसी लाती हैं। डायरेक्टर दीपक कुमार मिश्रा ने गांव के माहौल को बरकरार रखा, और चंदन कुमार का लेखन किरदारों को जीवंत बनाता है। मगर सीजन 3 की तरह यह सीजन भी कुछ हल्का लगता है। अगर आप ‘पंचायत’ के फैन हैं, तो यह सीजन आपको मंजू देवी की लड़ाई और फुलेरा की गर्मजोशी से जोड़े रखेगा, लेकिन कॉमेडी की कमी खल सकती है।
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